एक प्रश्न है और
उत्तर की तलाश है
कि तुम्हारी ग़ैरमौजूदगी में
ये ख़ूबसूरती
काइनात की
कहाँ खो जाती है?
एक तारे के इंतज़ार में
आकाश खोल के पढ़ते रहे
महकती रात की रानी
चांद पे पंजे मारती रही
काले लिबास में
बैठा इंतज़ार सुबकता रहा,
रास्ता भूला,
आधी रात
किसको आवाज़ दे?