मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

गृहिणी करे याद

मुझे तुम्हारी याद आती है जब


शेम्पू की डिब्बी सीटी फूंकने लगती है
पतला साबुन टूट कर
मेरे हाथ में रह जाता है


जब कनिस्तर बजने लगते हैं
या सिलेंडर लेट जाता है.

शनिवार, 10 दिसंबर 2011

चित्र

चित्र बनाओ, एक जटिल चित्र

युद्ध एक राक्षस है जो खादी नहीं ओढ़ता

औरतें चट्टानों पर पीट-पीट कर कमीज़ें
धोती हैं

शाम बेदम चेहरों को नील-लोहित रंग के
रेशम से ढँक देती है

कोई संगीत को अपने सर ओढ़ के आता है
(स्कार्फ़ की तरह)
सिर्फ़ तुम्हारे लिए..
Related Posts with Thumbnails