ज्यों-ज्यों बुढ़ापा
मेरी खाट के सिरहाने बैठता,
मेरा सर दबाता . .
मैं उन शाम के सितारों की
ओर नज़र करता और
पाता कि -
मेरी मौत के साथ वो और जवान
हो रहे हैं, उनकी चमक बढ़ रही है.
लंबे दिन हो चले हैं
और रातें छोटी.
कभी तुम कुटिया आओ,
और अवगत कराओ मुझे
मेरे इस वहम से,
जो शायद सच है !
(फ्रांज़ राईट की 'इमेजो' से प्रेरित)
मेरी खाट के सिरहाने बैठता,
मेरा सर दबाता . .
मैं उन शाम के सितारों की
ओर नज़र करता और
पाता कि -
मेरी मौत के साथ वो और जवान
हो रहे हैं, उनकी चमक बढ़ रही है.
लंबे दिन हो चले हैं
और रातें छोटी.
कभी तुम कुटिया आओ,
और अवगत कराओ मुझे
मेरे इस वहम से,
जो शायद सच है !
(फ्रांज़ राईट की 'इमेजो' से प्रेरित)