मुझे तुम्हारी याद आती है जब
शेम्पू की डिब्बी सीटी फूंकने लगती है
पतला साबुन टूट कर
मेरे हाथ में रह जाता है
जब कनिस्तर बजने लगते हैं
या सिलेंडर लेट जाता है.
शेम्पू की डिब्बी सीटी फूंकने लगती है
पतला साबुन टूट कर
मेरे हाथ में रह जाता है
जब कनिस्तर बजने लगते हैं
या सिलेंडर लेट जाता है.
4 टिप्पणियां:
वाह क्या बात है ... सच है उनके ख्याल आए तो आते चले गए ... हर जगह वो समाये रहते हैं ...
वाह!
वास्तविकता का सही वर्णन चंद पंक्तियों में ,,,
एक टिप्पणी भेजें