मंगलवार, 27 दिसंबर 2011

गृहिणी करे याद

मुझे तुम्हारी याद आती है जब


शेम्पू की डिब्बी सीटी फूंकने लगती है
पतला साबुन टूट कर
मेरे हाथ में रह जाता है


जब कनिस्तर बजने लगते हैं
या सिलेंडर लेट जाता है.

4 टिप्‍पणियां:

दिगम्बर नासवा ने कहा…

वाह क्या बात है ... सच है उनके ख्याल आए तो आते चले गए ... हर जगह वो समाये रहते हैं ...

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

वाह!

Kiran Wadivkar ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
Kiran Wadivkar ने कहा…

वास्तविकता का सही वर्णन चंद पंक्तियों में ,,,

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