इंतिहा

शनिवार, 30 अक्टूबर 2010

छलांग


इसी किनारे ,
इसी नदी में
एक शाम ने
मचल के छलांग
लगायी है !

Posted by दीपशिखा वर्मा / DEEPSHIKHA VERMA at 3:47 am
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Labels: नाज़ुक से धागे

2 टिप्‍पणियां:

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

वाह ..सुन्दर .

30 अक्टूबर 2010 को 7:30 am बजे
Parul kanani ने कहा…

waah kya karishmai soch hai :)

30 अक्टूबर 2010 को 11:51 pm बजे

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