पयामी हवा है,
पंखो पे रखके
सन्देश, बदलाव
इस मारुथल से उस
मारुथल . .
एक आंधी उठाएगी.
कठपुतलियों के धागे टूटेंगे
बगावत का मंच सजेगा.
कुछ तो बदलेगा !
पंखो पे रखके
सन्देश, बदलाव
इस मारुथल से उस
मारुथल . .
एक आंधी उठाएगी.
कठपुतलियों के धागे टूटेंगे
बगावत का मंच सजेगा.
कुछ तो बदलेगा !
1 टिप्पणी:
Badlaav ek niyam hai, ek sachchhai, ise hona hi hota hai..samay ki baat hai bas..
bahut sunder khayal Shikha..
एक टिप्पणी भेजें