इंतिहा
रविवार, 17 अप्रैल 2011
कविता
स्वर्णिम उदासी,
एक तलाश, एक सपना
अँधेरा, कुछ आंसू
आस और हिचकी.
बीते ग्रीष्म के
झुलसे-सूखे फूलों
को संजोना
यही है कविता.
3 टिप्पणियां:
Parul kanani
ने कहा…
chitra aur rachna dono khoob surat hai1
17 अप्रैल 2011 को 5:02 am बजे
संगीता स्वरुप ( गीत )
ने कहा…
खूबसूरत एहसास
17 अप्रैल 2011 को 7:22 am बजे
Rishabh
ने कहा…
nice
18 अप्रैल 2011 को 2:29 am बजे
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
3 टिप्पणियां:
chitra aur rachna dono khoob surat hai1
खूबसूरत एहसास
nice
एक टिप्पणी भेजें