रविवार, 17 अप्रैल 2011

कविता








 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
स्वर्णिम उदासी,

एक तलाश, एक सपना

अँधेरा, कुछ आंसू

आस और हिचकी.


बीते ग्रीष्म के

झुलसे-सूखे फूलों

को संजोना

यही है कविता.
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